चाहत अगर पूरी हो जाए,
तो चाहत ख़त्म नहीं होती,
और अगर वो ख़त्म हो जाए,
तो वो सच्चा प्रेम नहीं.
रविवार, नवंबर 29, 2009
चाहत अगर पूरी हो जाए
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डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर ( लारा ) झारखण्ड बोकारो थर्मल से । शिक्षा -इतिहास (प्रतिष्ठा)बी.ए. , संगणक विज्ञान बी.सी .ए. , हिंदी से बी.एड , हिंदी ,इतिहास में स्नातकोत्तर | हिंदी में पी.एच. डी. | | राष्ट्रीय मंचों पर काव्य पाठ | प्रथम काव्यकृति ----"स्वप्न मरते नहीं ग़ज़ल संग्रह " चाँदनी रात “ संकलन "काव्य संग्रह " ह्रदय तारों का स्पन्दन , पगडंडियाँ " व् मृगतृष्णा " में ग़ज़लें | हिंदी- उर्दू पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित । कई राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित ।
चाहत अगर पूरी हो जाए,
तो चाहत ख़त्म नहीं होती,
और अगर वो ख़त्म हो जाए,
तो वो सच्चा प्रेम नहीं.
4 comments:
nice thought
keep it up?
manish kumar ji aapka sukriya..........
nice thought but... चाहत अगर पूरी हो जाए,
तो चाहत ख़त्म नहीं होती aapki poem padhane ki
to padte rahiye meri poems...........
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