बेटी माँ से :
बेटी होना गुनाह है ?
माँ ,
बस तीन बातें याद रख .....
भगिनी ,
भोग,
भरण.
तू इसी लिए
पैदा हुई है |
बेटी ने कहा
ये ठीक नहीं माँ
मुझे
ये बंधन नहीं,
ख़ुद का
फैसला भी चाहिए,
जो मुझे
अपने रूप से जीने दे
माँ :
अच्छा होता
ये कुल कलंकिनी
पैदा ही ना लेती |
तू तो ,
नारी जाति के ,
नाम पर
कलंक है
जो वर्षों से
चली आ रही
इस
मर्यादा को
तोड़ने पर
उतारू है |
"रजनी नैय्यर मल्होत्रा "
बेटी होना गुनाह है ?
माँ ,
बस तीन बातें याद रख .....
भगिनी ,
भोग,
भरण.
तू इसी लिए
पैदा हुई है |
बेटी ने कहा
ये ठीक नहीं माँ
मुझे
ये बंधन नहीं,
ख़ुद का
फैसला भी चाहिए,
जो मुझे
अपने रूप से जीने दे
माँ :
अच्छा होता
ये कुल कलंकिनी
पैदा ही ना लेती |
तू तो ,
नारी जाति के ,
नाम पर
कलंक है
जो वर्षों से
चली आ रही
इस
मर्यादा को
तोड़ने पर
उतारू है |
"रजनी नैय्यर मल्होत्रा "