लड़कियां खिल कर बाबुल के आँगन में,
किसी और का घर महकाती हैं .
जन्म के बंधन को छोड़ कर ,
रस्मों के बंधन को जतन से निभाती हैं.
जिस कंधे ने झूला झूलाया, जिन बाँहों ने गोद उठाया,
उस कंधे को छोड़ किसी और का संबल बन जाती हैं.
बाबुल की लाडली, आँखों का तारा ,
बाबुल से दूर किसी और का सपना बन जाती हैं.
बाबुल के जिगर का टुकड़ा, वो गुड़िया सी छुईमुई,
एक दिन ख़ुद टुकड़ों में बँट कर रह जाती हैं .
सींच कर बाबुल के हाथों , किसी और की हो जाती हैं,
मेहंदी सी पीसकर , किसी के जीवन में रच जाती हैं.
लड़कियां खिल कर बाबुल के आँगन में,
किसी और का घर महकाती हैं.
"रजनी नैय्यर मल्होत्रा "
किसी और का घर महकाती हैं .
जन्म के बंधन को छोड़ कर ,
रस्मों के बंधन को जतन से निभाती हैं.
जिस कंधे ने झूला झूलाया, जिन बाँहों ने गोद उठाया,
उस कंधे को छोड़ किसी और का संबल बन जाती हैं.
बाबुल की लाडली, आँखों का तारा ,
बाबुल से दूर किसी और का सपना बन जाती हैं.
बाबुल के जिगर का टुकड़ा, वो गुड़िया सी छुईमुई,
एक दिन ख़ुद टुकड़ों में बँट कर रह जाती हैं .
सींच कर बाबुल के हाथों , किसी और की हो जाती हैं,
मेहंदी सी पीसकर , किसी के जीवन में रच जाती हैं.
लड़कियां खिल कर बाबुल के आँगन में,
किसी और का घर महकाती हैं.
"रजनी नैय्यर मल्होत्रा "