सोमवार, फ़रवरी 21, 2011
मेरे शब्द ,मेरे विचार .
मेरे शब्द ,मेरे विचार .
जिस दिन ये भरम टूट जायेगा उस दिन हम भी बिखर जायेंगे तिनके के जैसे .
तो अच्छा है हम भी इसी भरम में खुश रहें , जिसमे दुनिया खुश रहती है|
"मेरे पास सब कुछ है "
अपनी गलतियों पर पर्दा डालने से अच्छा है उन्हें बखूबी स्वीकार कर सुधारा जाये |
एक के कदम "हजारों के रास्ते बनते हैं " तो क्यों न हम " हर रोज़ एक नयी राह बनाएं |
जिस शक्ति (नारी ) की जयगाथा पुरानो में शोभ रही थी,
आज अपनी ही कमजोरी से वो कहीं कहीं शक्तिहीन है (नारी)
अपनी कमजोरी को और कमजोर न बना कर, उसे अपनी शक्ति बनाओ
फिर "तलवार भी तुम और ढाल भी तुम" |
सही अर्थ में पुरुष वही है जो अपने बल का प्रयोग असहायों के सहयोग के लिए करें,
न की निर्बल व् अबला पर बल आजमा कर |
कहते हैं आँसू हमें कमजोर बनाते हैं, नहीं ये हमें और मजबूती प्रदान करते हैं अपने लक्ष्य को पाने की "|
हर राह आसान होगी "बस संकल्प पक्का होना चाहिए "
"रजनी नैय्यर मल्होत्रा "
Posted by डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) at 21.2.11 16 comments
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गुरुवार, फ़रवरी 17, 2011
विवाह के बारहवे वर्षगांठ पर
विवाह के बारहवे वर्षगांठ पर राजेश को ..........
तुम्हारे साथ लिए,
सात फेरे,
व् सात वचन ,
के साथ
बारह वर्ष ,
गुजर गए.
पर ,
सारे वचनों के मोल,
मैंने ही निभाए ,
तुमने तो,
जो वक़्त बीते,
उन्हें निभाया नहीं,
बस गुजारा है.
फिर भी ,
ये कामना है ,
अब आनेवाला हर पल,
हमारे विवाह के ,
सात फेरों व्
सात वचनों की तरह,
पूरी मजबूती से ,
गठबंधन की तरह ,
बंध जाये.
एक दुसरे के प्रति,
प्रेम, विश्वास ,
समर्पण के साथ.
जिस अग्नि को ,
साक्षी मानकर ,
हमने जीवनसाथी,
बन आजीवन ,
साथ निभाने की ,
कसमे उठायी थीं.
ये गठबंधन ,
किसी भी हालात में,
ना टूटे.
ना ही ,
क्रोध की अग्नि में ,
भस्म हो.
ये शिकायत नहीं तुमसे,
तुम तो सदा ही ,
निन्यानबे के चक्कर में ,
पड़े रहे,
शायद हमारा फेरा ही ,
निन्यानबे का पड़ा.
क्योंकि ,
उस दिन ,(१८ -२-१९९९)
अठारह फरवरी उन्नीस सौ निन्यानबे था .
चाहती हूँ ऐसे रहना,
तेरे साथ,
जैसे गुलाब में उसकी खुशबू.
"रजनी नैय्यर मल्होत्रा"
तुम्हारे साथ लिए,
सात फेरे,
व् सात वचन ,
के साथ
बारह वर्ष ,
गुजर गए.
पर ,
सारे वचनों के मोल,
मैंने ही निभाए ,
तुमने तो,
जो वक़्त बीते,
उन्हें निभाया नहीं,
बस गुजारा है.
फिर भी ,
ये कामना है ,
अब आनेवाला हर पल,
हमारे विवाह के ,
सात फेरों व्
सात वचनों की तरह,
पूरी मजबूती से ,
गठबंधन की तरह ,
बंध जाये.
एक दुसरे के प्रति,
प्रेम, विश्वास ,
समर्पण के साथ.
जिस अग्नि को ,
साक्षी मानकर ,
हमने जीवनसाथी,
बन आजीवन ,
साथ निभाने की ,
कसमे उठायी थीं.
ये गठबंधन ,
किसी भी हालात में,
ना टूटे.
ना ही ,
क्रोध की अग्नि में ,
भस्म हो.
ये शिकायत नहीं तुमसे,
तुम तो सदा ही ,
निन्यानबे के चक्कर में ,
पड़े रहे,
शायद हमारा फेरा ही ,
निन्यानबे का पड़ा.
क्योंकि ,
उस दिन ,(१८ -२-१९९९)
अठारह फरवरी उन्नीस सौ निन्यानबे था .
चाहती हूँ ऐसे रहना,
तेरे साथ,
जैसे गुलाब में उसकी खुशबू.
"रजनी नैय्यर मल्होत्रा"
Posted by डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) at 17.2.11 24 comments
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बुधवार, फ़रवरी 16, 2011
जिसके घर में , कदम पड़ते ही
उसके
घर में क़दम पड़ते ही
मेरा धर्म भ्रष्ट हो गया
ये कह कर
वो स्नान को चली गयी |
उसने छुआ जिस वस्तु को
उसमे गंगाजल डाल
कई बार धोती रही |
अचानक एक दिन
समाचार मिला
तेरा बेटा गिर पड़ा है
सड़कों पर |
वो बदहवास भागी,
तेज़ धूप और गर्मी के मारे
वो बेहोश हो गया था ,
उसने आनन् फानन में
दिया अपने पल्लू से हवा ...
तभी किसी ने कहा
इसे पानी पिलाओ
और,
जिसके घर में
क़दम पड़ते ही
धर्म भ्रष्ट हो रहा था
आज उसी की हाथों से
पानी पीकर
उसका बेटा
नया जीवन पा गया |
"रजनी नैय्यर मल्होत्रा"
घर में क़दम पड़ते ही
मेरा धर्म भ्रष्ट हो गया
ये कह कर
वो स्नान को चली गयी |
उसने छुआ जिस वस्तु को
उसमे गंगाजल डाल
कई बार धोती रही |
अचानक एक दिन
समाचार मिला
तेरा बेटा गिर पड़ा है
सड़कों पर |
वो बदहवास भागी,
तेज़ धूप और गर्मी के मारे
वो बेहोश हो गया था ,
उसने आनन् फानन में
दिया अपने पल्लू से हवा ...
तभी किसी ने कहा
इसे पानी पिलाओ
और,
जिसके घर में
क़दम पड़ते ही
धर्म भ्रष्ट हो रहा था
आज उसी की हाथों से
पानी पीकर
उसका बेटा
नया जीवन पा गया |
"रजनी नैय्यर मल्होत्रा"
Posted by डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) at 16.2.11 21 comments
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शुक्रवार, फ़रवरी 11, 2011
१४ फरवरी वेलेंटाइंस डे’ प्रेम दिवस
युवा पीढ़ी दौड़ रही प्रेम दिवस मनाने में,
पाश्चात्य के पीछे अपनी संस्कृति भुनाने में.
स्कूल कालेज बंद आज, पर भीड़ लगी उद्यानों में,
लगे क़तार में खरीदारी को फूलों के दुकानों में.
१४ फरवरी वेलेंटाइंस डे’ प्रेम दिवस,
क्या कहें युवाओं, इसे सर दर्द या प्रेम रस.???
"रजनी नैय्यर मल्होत्रा "
पाश्चात्य के पीछे अपनी संस्कृति भुनाने में.
स्कूल कालेज बंद आज, पर भीड़ लगी उद्यानों में,
लगे क़तार में खरीदारी को फूलों के दुकानों में.
१४ फरवरी वेलेंटाइंस डे’ प्रेम दिवस,
क्या कहें युवाओं, इसे सर दर्द या प्रेम रस.???
"रजनी नैय्यर मल्होत्रा "
Posted by डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) at 11.2.11 15 comments
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