हर तरफ अब तो आतंकी शोर है,
निशाने पर दिल्ली, मुम्बई, कभी बंगलोर है.
काला चश्मा, तेल कान में डाले सरकारे आला बैठिये,
जब हो जाएँ हादसे कहते हैं कैसे आ गए घुसपैठिये.
भोली जनता होती रही आतंकी शिकार है ,
बिन चाभी के ताला सा लोकतंत्र बेकार है.
राह चलना मुश्किल अब तो हथेलियों में जान है,
अंधी बहरी व्यवस्था पर जनता कुर्बान है.
समय समय ये खून खराबा बदला हुआ परिवेश है
हो जाओ खुद ही तैयार खतरे में देश है .
निशाने पर दिल्ली, मुम्बई, कभी बंगलोर है.
काला चश्मा, तेल कान में डाले सरकारे आला बैठिये,
जब हो जाएँ हादसे कहते हैं कैसे आ गए घुसपैठिये.
भोली जनता होती रही आतंकी शिकार है ,
बिन चाभी के ताला सा लोकतंत्र बेकार है.
राह चलना मुश्किल अब तो हथेलियों में जान है,
अंधी बहरी व्यवस्था पर जनता कुर्बान है.
समय समय ये खून खराबा बदला हुआ परिवेश है
हो जाओ खुद ही तैयार खतरे में देश है .