तुझे मुझसे जितनी नफरत है,
तेरी उतनी ही मुझे जरुरत है.मिसरी भरी निगाहें ही मीठी नहीं होती,
तेरे अंगार भरे निगाहें भी खुबसूरत हैं.
कैसे कह दूँ कोई खैर करता नहीं,
इस नफरत में जलना तेरी प्रीत या फितरत है.
घिरे हों जब आँखों में अविश्वास के बादल,
हर अच्छी बातें भी लगती बदसूरत हैं.
जो ख्वाब बुनते हैं हम लगन से,
वो टूट कर भी रहते खुबसूरत हैं.
जानती हूँ कोई तोड़ नहीं पायेगा,
फिर भी तुमसे टूटना मेरी किस्मत है.
बंध कर और नहीं रहा जायेगा,
अब तो टूट कर बिखरने की चाहत है.
डूब रही मेरी कस्ती तेरे ही हाथों,
ये जानकर भी डूबना मेरी जरूरत है.
जितनी तुझे मुझसे नफरत है,
तेरी उतनी ही मुझे जरुरत है|