करवा चौथ पर ................
" मेहंदी ने तय कर दी, तेरे प्रीत का रंग कितना गहरा है,
आज मेरी निगाहें बार बार, हथेली पर टिक जाती है. "
हो जाता है इस बात का यकीं देखकर ,
हर सुहागन क्यों मेहंदी के रंग पर इतराती हैं ??
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अमर सुहाग का मिले आभा ,मेरे चेहरे के नूर को,
कभी भी ना चाँद मेरा ,मेरे फलक से दूर हो.
एक दिन इंतजार होता है, करवा चौथ के चाँद का ,
पर मेरे चाँद का मुझे , हर दिन इंतज़ार रहता है".
"रजनी मल्होत्रा नैय्यर "
सोमवार, अक्तूबर 25, 2010
मेहंदी ने तय कर दी, तेरे प्रीत का रंग कितना गहरा है
Posted by डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) at 25.10.10 12 comments
Labels: Poems
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