तेरी तारीफ़ में कितना लिखे कोई,
कम ही लगता है जितना लिखे कोई,
ये उम्र तो कम ही लगने लगी,
सात जन्म भी कम लगे इतना लिखे कोई,
नशा में लिखू तो शराबी कहोगे,
बिन पिए ही लिखा है,
ऐसे लिखे जैसे सपना लिखे कोई,
गजल खुद ब खुद बन जाती है,
जब भी तेरा बोलना,तेरी आवाज़ लिखे कोई,
तुझमे और तेरी आवाज़ में वो जादू है,
तेरा रुकना और तेरा चलना लिखे कोई,
तेरी तारीफ में कितना लिखे कोई,
कम ही लगे जितना लिखे कोई,
किसी कि गजल में वो बात नहीं,
नया क्या लिखे, जब अपना लिखे कोई,
तेरी तारीफ में कितना लिखे कोई,
कम ही लगता है जितना लिखे कोई.
रविवार, नवंबर 29, 2009
तेरी तारीफ में कितना लिखे कोई
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