थम गया दंगा, कत्ल हुआ आवाम का ,
आ गए घर जलानेवाले , हाथों में मरहम लिए |
तारीकी के अंजुमन में, साज़िश की गुफ़्तगू,
आ गए सुबह अमन का , हाथों में परचम लिए |
सज़ावार जो हैं, "रजनी" वो खतावार भी,
आ गए चेहरे पर डाले नक़ाब ,हाथों में दरपन लिए |
आ गए घर जलानेवाले , हाथों में मरहम लिए |
तारीकी के अंजुमन में, साज़िश की गुफ़्तगू,
आ गए सुबह अमन का , हाथों में परचम लिए |
सज़ावार जो हैं, "रजनी" वो खतावार भी,
आ गए चेहरे पर डाले नक़ाब ,हाथों में दरपन लिए |