जो सन्नाटे से भी डरते हैं अक्सर,
क्यों उनकी गली में शोर होता है |
हर ज़िंदगी में रोज़ यही कहानी होती है
हर ज़माने में यही दौर होता है|
जो महफ़िल में बने फिरते हैं पारसा,
क्यों उनके दिल में अक्सर चोर होता है|
कुछ तो बैठे रह जाते हैं हाथें मलते अपने,
कुछ के सिक्कों के बल पर, जयनाद चहूँ ओर होता है|
क्या करें अब शिकवा हम तुमसे ऐ ज़माना,
कि मेरा हर सहारा क्यों कमज़ोर होता है |
गुज़रते हैं दहशत में जिनके ज़िन्दगी के हर पल,
उनकी नींद में भी भगदड़ का शोर होता है|
जो रखते हैं संभाल कर हर शिकन से खुद को,
क्यों उनके दिल में अक्सर चोर होता है |
"रजनी"
क्यों उनकी गली में शोर होता है |
हर ज़िंदगी में रोज़ यही कहानी होती है
हर ज़माने में यही दौर होता है|
जो महफ़िल में बने फिरते हैं पारसा,
क्यों उनके दिल में अक्सर चोर होता है|
कुछ तो बैठे रह जाते हैं हाथें मलते अपने,
कुछ के सिक्कों के बल पर, जयनाद चहूँ ओर होता है|
क्या करें अब शिकवा हम तुमसे ऐ ज़माना,
कि मेरा हर सहारा क्यों कमज़ोर होता है |
गुज़रते हैं दहशत में जिनके ज़िन्दगी के हर पल,
उनकी नींद में भी भगदड़ का शोर होता है|
जो रखते हैं संभाल कर हर शिकन से खुद को,
क्यों उनके दिल में अक्सर चोर होता है |
"रजनी"