हौसले जब जवान होते हैं,
ज़ेर पा आसमान होते हैं.
ग़म को पीकर जो मुस्कुराते हैं,
आदमी वो महान होते हैं.
मसालें लेकर अपने हाथों में,
अमन के पासबान होते हैं.
ताबे परवाज़ जिनके अन्दर हो,
उनकी ऊँची उड़ान होते हैं.
राज़ कुछ तो है इस तकल्लुफ का,
आप क्यों मेहरबान होते हैं.
शोज़-ए-ग़म से भरे हुए दिल के,
पुरअसर दास्तान होते हैं.
ज़ेरपा बरिया नशीनों के,
ए जमीन- आसमान होते हैं.
टूटते हैं कलम से शमसीरें,
वैसे ए बेज़बान होते हैं.
मुझको भी उनपे कुछ शक है, "रजनी"
वह भी कुछ बदगुमान होते हैं.
ज़ेर पा आसमान होते हैं.
ग़म को पीकर जो मुस्कुराते हैं,
आदमी वो महान होते हैं.
मसालें लेकर अपने हाथों में,
अमन के पासबान होते हैं.
ताबे परवाज़ जिनके अन्दर हो,
उनकी ऊँची उड़ान होते हैं.
राज़ कुछ तो है इस तकल्लुफ का,
आप क्यों मेहरबान होते हैं.
शोज़-ए-ग़म से भरे हुए दिल के,
पुरअसर दास्तान होते हैं.
ज़ेरपा बरिया नशीनों के,
ए जमीन- आसमान होते हैं.
टूटते हैं कलम से शमसीरें,
वैसे ए बेज़बान होते हैं.
मुझको भी उनपे कुछ शक है, "रजनी"
वह भी कुछ बदगुमान होते हैं.