दुनियां की हर माँ को नमन ...........
थपकी, चुम्बन, मीठी लोरी , ऐसे प्यार जताती है माँ,
लाल - पीली होकर गुस्से से, फटकार लगाती है माँ .
सीने से लिपट जाती है,छोड़- चूल्हा -चौका, झाड़ू बर्तन ,
बच्चों के दुःख में खुशियों का उपहार बन जाती है माँ
देकर अपने ममता का संबल, जीते जीवन का हर दंगल
कभी ढाल बनकर डटे ,कभी तलवार बन जाती है माँ .
काँटों के गुलशन में भी फूलों का हार बन जाती है
बच्चों की खुशियों में त्यौहार बन जाती है माँ
दे कर ममता स्नेह की बहती धार बन जाती है
प्यासे धरा पर सावन की बौछार बन जाती है माँ,
जीवन के हर एक उलझन , ले कर अपने अंकों में ,
कर दे मात नियति को भी ,ऐसी औजार बन जाती है माँ |
"रजनी नैय्यर मल्होत्रा"
थपकी, चुम्बन, मीठी लोरी , ऐसे प्यार जताती है माँ,
लाल - पीली होकर गुस्से से, फटकार लगाती है माँ .
सीने से लिपट जाती है,छोड़- चूल्हा -चौका, झाड़ू बर्तन ,
बच्चों के दुःख में खुशियों का उपहार बन जाती है माँ
देकर अपने ममता का संबल, जीते जीवन का हर दंगल
कभी ढाल बनकर डटे ,कभी तलवार बन जाती है माँ .
काँटों के गुलशन में भी फूलों का हार बन जाती है
बच्चों की खुशियों में त्यौहार बन जाती है माँ
दे कर ममता स्नेह की बहती धार बन जाती है
प्यासे धरा पर सावन की बौछार बन जाती है माँ,
जीवन के हर एक उलझन , ले कर अपने अंकों में ,
कर दे मात नियति को भी ,ऐसी औजार बन जाती है माँ |
"रजनी नैय्यर मल्होत्रा"