काव्य संग्रह "स्वप्न मरते नहीं " मेरी पहली पुस्तक प्रकाशित होकर आ गयी है .
स्वपन मरते नहीं,
कुछ क्षीण हो जाते हैं,
हाँ आशान्वित होकर,
उस टूटे सपनो से,
अधीर होते हैं हम,
पर,
उस अधीरता में भी जो,
धीरज ना खोते हैं,
वो बिखर कर भी,
अपने मुट्ठी में,
अपने ख्वाबों का जहाँ ko,
हकीकत में,
साकार कर लेते हैं.
कुछ क्षीण हो जाते हैं,
हाँ आशान्वित होकर,
उस टूटे सपनो से,
अधीर होते हैं हम,
पर,
उस अधीरता में भी जो,
धीरज ना खोते हैं,
वो बिखर कर भी,
अपने मुट्ठी में,
अपने ख्वाबों का जहाँ ko,
हकीकत में,
साकार कर लेते हैं.
"रजनी नैय्यर मल्होत्रा "