बुधवार, मार्च 22, 2023
क्यों बदलूं मैं तेवर अपने मौसम या दस्तूर नहीं हूँ
Posted by डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) at 22.3.23 0 comments
सोमवार, मार्च 06, 2023
कोई मले गुलाल तो बुरा न मानो होली है
होली की शुभकामनाओं के साथ ये होली ग़ज़ल 👇आपके हवाले मित्रों 🙏😊
न आज रंग से बचो बुरा न मानो होली है
कोई मले गुलाल तो बुरा न मानो होली है
भुला दो भेदभाव सब भुला दो सारी दूरियाँ
लगा के रंग बस कहो बुरा न मानो होली है
जला दो सारी नफ़रतें इस होलिका की आग में
सभी से बस गले मिलो बुरा न मानो होली है
लिए गुलाल हाथ में चलीं वो देखो टोलियाँ
गली गली ये शोर हो बुरा न मानो होली है
निराली ब्रज की होली है जो आ गए हो तो सुनो
पड़े जो सर पे लट्ठ तो बुरा न मानो होली है
डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यरबो
कारो थर्मल,झारखंड
Posted by डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) at 6.3.23 0 comments
गुरुवार, दिसंबर 29, 2022
हैं नहीं पहले सी अब तो रौनकें बाजार में
ग़ज़ल
सब तरफ है छाई मंदी आजकल व्यापार में
हैं नहीं पहले सी अब तो रौनकें बाजार में
कुछ जरा बदलाव आए , दाम शेयर के गिरें
ढूँढने लग जाते हैं जी ऐब हम सरकार में
आप भी कुछ हल निकालें बात बन ही जाएगी
क्यों भड़क कर दोष देते वक्त को बेकार में
चाटुकारी, बेईमानी मिलती बेग़ैरत में है
दोष ये होते नहीं हैं आदमी ख़ुद्दार में
हर तरफ होगा उजाला होगी रोशन रात ये
क़ुमक़ुमे यूँ जल उठेंगे नूर के त्योहार में
डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर
बोकारो थर्मल,झारखंड
Posted by डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) at 29.12.22 0 comments
शनिवार, जुलाई 23, 2022
मतला व 1 शेर
हयाते जंग में अपनों को साथ पाते हैं
तभी तो आप ग़मों में भी मुस्कुराते हैं
दुखों के साये सदा साथ तो नहीं होते
वो आ तो जाते हैं लेकिन चले भी जाते हैं
डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर
Posted by डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) at 23.7.22 0 comments
सोमवार, मार्च 21, 2022
ले गुलाबी दुआ, जा तुझे इश्क़ हो (ग़ज़ल)
होली हास्य में डूबी हुई एक ग़ज़ल 👇
आज उसने कहा,जा तुझे इश्क़ हो
हाल दिल का सुना,जा तुझे इश्क़ हो
दिलरुबा कोई तुझको मिले प्यार से
तू भी हो बावरा, जा तुझे इश्क़ हो
हिज्र का ग़म तुझे भी सताये कभी
तू करे रतजगा, जा तुझे इश्क़ हो
क्यों दहलता है तू प्यार के नाम से
इश्क़ में डूब जा, जा तुझे इश्क़ हो
कौन देता किसी को हसीं ये दुआ
ले गुलाबी दुआ, जा तुझे इश्क़ हो
डॉ. रजनी मल्होत्रा नैय्यर
बोकारो थर्मल, झारखंड
Posted by डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) at 21.3.22 6 comments
सोमवार, फ़रवरी 21, 2022
है लगे आज जुगनू भी महताब सा
एक ग़ज़ल हाजिर है मित्रों 🙏😊
अश्क़ आँखें बहाती रही रातभर
याद तेरी सताती रही रातभर
प्यार से लग गले ओस कचनार के
साथ में खिलखिलाती रही रातभर
है लगे आज जुगनू भी महताब सा
ये अमावस बताती रही रातभर
चाँद को देख बदली की आगोश में
चाँदनी दिल जलाती रही रातभर
इन निगाहों से थे ख़्वाब रूठे हुए
नींद उनको मनाती रही रातभर
"डॉ. रजनी मल्होत्रा नैय्यर
बोकारो थर्मल, झारखंड
Posted by डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) at 21.2.22 9 comments
गुरुवार, फ़रवरी 17, 2022
ग़ज़ल
एक ग़ज़ल हाज़िर कर रही 🙏😊
आएगा इंकलाब रहने दे
है वहम ये जनाब रहने दे
ये ज़रूरी नहीं कि झूठे हों
इन निगाहों में ख़्वाब रहने दे
ख़ुद को यूँ बेहिजाब मत करना
रुख़ पे थोड़ा हिज़ाब रहने दे
अपना दामन बचा के रहना है
है ज़माना ख़राब रहने दे
अपनी साँसों में लम्स की खुशबू
फूल जैसे गुलाब रहने दे
नाज़ किस शय पे हो यहाँ "रजनी"
साँस भी है हबाब रहने दे
इंकलाब-- परिवर्तन, क्रांति
हबाब - पानी का बुलबुला
हिज़ाब-- पर्दा,लज्जा, शर्म
लम्स-- छूवन
----------- --- ------------
"डॉ. रजनी मल्होत्रा नैय्यर"
बोकारो थर्मल झारखंड
Posted by डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) at 17.2.22 2 comments
मंगलवार, फ़रवरी 01, 2022
शेर
माना सुख है सत्ता के गलियारों में
Posted by डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) at 1.2.22 0 comments
शुक्रवार, दिसंबर 31, 2021
यहाँ सर्दियों का गुलाबी है मौसम
कहाँ रह गये हो चले आओ हमदम
यहाँ सर्दियों का गुलाबी है मौसम
दिसम्बर महीना कड़ाके की सर्दी
गिरा कर के पारा दिखाती है दमख़म
घने कोहरे में वो सूरज छिपा है
धरा पर बिछी शाख़ फूलों पे शबनम
रजाई के अंदर दुबक कर रहें हम
मिले गर्म कॉफी यही चाहे आलम
हवाएँ ये ठंडी लगें जब भी तन को
ये नश्तर सी चुभती करें साँसें बेदम
"डॉ" रजनी मल्होत्रा नैय्यर
बोकारो थर्मल
Posted by डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) at 31.12.21 0 comments
गुरुवार, दिसंबर 30, 2021
अज़ीयत रसाँ है सफ़र ज़िन्दगी का
पीछे नहीं हटती कभी इम्दाद से
मैने हुनर ये परवरिश में पाया है
**********************
मतला व शेर ....
आँखों से ग़म ढल जाता है
एक पल ऐसा भी आता है
*********************************(*****
दुःखों के साये सदा साथ तो नहीं होते
वो आ तो जाते हैं लेकिन चले भी जाते हैं
**************************************
कभी समझ ही नहीं सके हम, न जाने कब कैसे हो गया ये
तुम्हारा कब्ज़ा हमारे दिल पर ,हमारा कब्ज़ा तुम्हारे दिल पर
****************************************
बंद हो पड़ा जैसे सीप में रखा गौहर
आपने मुझे भी महफ़ूज कर दिया ऐसे
*************************************
देखा सुहानी झील में जब नाव का सफ़र
डल झील का सफ़र वो मुझे याद आ गया
************************
हमारी तिश्नगी को वो कभी समझें नहीं शायद
हमारी आरजू ये है कि बस दीदार हो जाये
कभी माँगा नहीं मैने समंदर दे मुहब्बत का
मिले क़तरा भी गर मुझको मुक़म्मल प्यार हो जाये
************************
कट रहा इस ज़िंदगी का हर सफ़र आराम से
कुछ अज़ीज़ों की दुआएँ काम आयी हैं सदा
************************
उस बात को तुम याद मत करना कभी
बरसों लगे जिस बात को भूल जाने में
************************
इसी बहर पर
रिसने लगे हैं ज़ख़्म फिर हो कर हरे
अरसे लगे जिस चोट को भर जाने में
************************
नहीं राह आसां किसी के लिए भी
अज़ीयत रसाँ है सफ़र ज़िन्दगी का
अज़ीयत रसाँ-- कष्टदायक
************************
ज़िंदगी जब मुख़्तसर है तो दुआएँ ये करें
ज़िंदगी जितनी मिली कुछ नेक काम कर चलें
********************************
.मतला 1 शे'र
आँखें रोयी और कभी मुस्काई होगी
याद मेरी जब तुझको भी आयी होगी
दिल का शोर दबाया होगा दिल में ही
वस्ल की यादें होंगी जब तन्हाई होगी
"डॉ. रजनी मल्होत्रा नैय्यर"
Posted by डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) at 30.12.21 0 comments