एक ग़ज़ल हाजिर है मित्रों 🙏😊
अश्क़ आँखें बहाती रही रातभर
याद तेरी सताती रही रातभर
प्यार से लग गले ओस कचनार के
साथ में खिलखिलाती रही रातभर
है लगे आज जुगनू भी महताब सा
ये अमावस बताती रही रातभर
चाँद को देख बदली की आगोश में
चाँदनी दिल जलाती रही रातभर
इन निगाहों से थे ख़्वाब रूठे हुए
नींद उनको मनाती रही रातभर
"डॉ. रजनी मल्होत्रा नैय्यर
बोकारो थर्मल, झारखंड
10 comments:
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 23 फरवरी 2022 को साझा की गयी है....
पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जी धन्यवाद बहुत बहुत 🙏
आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (23-02-2022) को चर्चा मंच "हर रंग हमारा है" (चर्चा अंक-4349) पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत बहुत धन्यवाद शास्त्री जी 🙏😊अवश्य आऊँगी
उम्दा/ बेहतरीन सृजन।
आभार आदरणीय 😊🙏
वाह ! बेहद उम्दा गजल
बहुत सुंदर सराहनीय गजल । मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
बहुत ही सुंदर।
सादर
हृदय से आभार 🙏
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