सोमवार, फ़रवरी 21, 2022

है लगे आज जुगनू भी महताब सा

 एक ग़ज़ल हाजिर है मित्रों 🙏😊


अश्क़ आँखें बहाती  रही    रातभर

याद   तेरी   सताती   रही   रातभर


प्यार से  लग  गले ओस कचनार के

साथ में  खिलखिलाती रही  रातभर


है  लगे आज जुगनू भी  महताब सा

ये   अमावस  बताती   रही   रातभर


चाँद को देख बदली  की आगोश में

चाँदनी  दिल जलाती   रही  रातभर


इन निगाहों से थे  ख़्वाब  रूठे   हुए

नींद उनको   मनाती    रही   रातभर            


"डॉ. रजनी मल्होत्रा नैय्यर

 बोकारो थर्मल, झारखंड

9 comments:

yashoda Agrawal ने कहा…

आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 23 फरवरी 2022 को साझा की गयी है....
पाँच लिंकों का आनन्द पर
आप भी आइएगा....धन्यवाद!

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

जी धन्यवाद बहुत बहुत 🙏

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

बहुत बहुत धन्यवाद शास्त्री जी 🙏😊अवश्य आऊँगी

मन की वीणा ने कहा…

उम्दा/ बेहतरीन सृजन।

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

आभार आदरणीय 😊🙏

Anita ने कहा…

वाह ! बेहद उम्दा गजल

जिज्ञासा सिंह ने कहा…

बहुत सुंदर सराहनीय गजल । मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

अनीता सैनी ने कहा…

बहुत ही सुंदर।
सादर

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

हृदय से आभार 🙏