कभी गुल कभी ख़ार है ज़िंदगी
कभी जीत कभी हार है ज़िंदगी
जब चाहे वो हमसे वापस ले ले
ख़ुदा से ली हुई उधार है ज़िदगी
"लारा"
कभी जीत कभी हार है ज़िंदगी
जब चाहे वो हमसे वापस ले ले
ख़ुदा से ली हुई उधार है ज़िदगी
"लारा"
डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर ( लारा ) झारखण्ड बोकारो थर्मल से । शिक्षा -इतिहास (प्रतिष्ठा)बी.ए. , संगणक विज्ञान बी.सी .ए. , हिंदी से बी.एड , हिंदी ,इतिहास में स्नातकोत्तर | हिंदी में पी.एच. डी. | | राष्ट्रीय मंचों पर काव्य पाठ | प्रथम काव्यकृति ----"स्वप्न मरते नहीं ग़ज़ल संग्रह " चाँदनी रात “ संकलन "काव्य संग्रह " ह्रदय तारों का स्पन्दन , पगडंडियाँ " व् मृगतृष्णा " में ग़ज़लें | हिंदी- उर्दू पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित । कई राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित ।
Posted by डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) at 30.4.20
6 comments:
बहुत खूब
बढ़िया मुक्तक
बहुत ख़ूब ... ऊपर वाले का उपहार है ये ज़िंदगी ...
आप सभी सुधीजनों को बहुत बहुत आभार 🙏
ज़िन्दगी को ज़िन्दगी के करीब लाती है ज़िन्दगी,
कभी हँसाती कभी जार-जार रुलाती है ज़िन्दगी.
वाह सुन्दर !
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