जिनको चाहा किये दोस्तों की तरह,
वो बदलते रहे मौसमों की तरह .
मै दीया था सर-ए - राह जलता रहा,
आंधियां तेज़ थी पागलों की तरह.
है तकद्दुस दिलों में जर- ओ - माल का ,
जाने क्यों मंदिरों मस्जिदों की तरह.
वह घड़ी भर में झंझोड़ कर चल दिया,
मेरे जज्बात को आँधियों की तरह.
दास्तान -ए-दर्द दिल मेरी आँखों से ,
आज "रजनी" रवाँ आंसुओं की तरह .
तकद्दुस--श्रद्धा
रवाँ -- बहना ,जारी रहना.
"रजनी नैय्यर मल्होत्रा "
वो बदलते रहे मौसमों की तरह .
मै दीया था सर-ए - राह जलता रहा,
आंधियां तेज़ थी पागलों की तरह.
है तकद्दुस दिलों में जर- ओ - माल का ,
जाने क्यों मंदिरों मस्जिदों की तरह.
वह घड़ी भर में झंझोड़ कर चल दिया,
मेरे जज्बात को आँधियों की तरह.
दास्तान -ए-दर्द दिल मेरी आँखों से ,
आज "रजनी" रवाँ आंसुओं की तरह .
तकद्दुस--श्रद्धा
रवाँ -- बहना ,जारी रहना.
"रजनी नैय्यर मल्होत्रा "
10 comments:
der se aaye... par khubsurat shabdo ke saath :)
bahut pyari see rachna..!
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति| धन्यवाद|
khoobsurat...
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति| धन्यवाद|
बहुत ही खूबसूरत रचना...!
बहुत सुन्दर भाव को दर्शाती रचना।
aap sabhi sudhijano ko mera hardik naman..........
bahut bhaavpurn rachna, shubhkaamnaayen.
bhavuk karne wali prastuti...
hardik aabhar Divya ji ...........
Dr. jenny ji aapko bhi mera hardik aabhar.........
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