सुलगते दिल के शरारे अजीब होते है,
भड़कती आग के शोले अजीब होते है.
ढलक ही जाते हैं पलकों से क़तर-ए-आंसू,
ग़म-ए -जुदाई के लम्हे अजीब होते हैं.
तड़प रहा है कोई, और सुलग रहा है कोई,
यह चाहतों के भी किस्से अजीब होते हैं.
जुबाँ खामोश निगाहों से बात होती है,
नज़र नज़र के इशारे अजीब होते हैं.
हुआ है शहर में गुम, ढूंढते हैं जंगल में,
जूनून-ए-इश्क के मारे अजीब होते हैं.
किसी की होके भी "रजनी" किसी की हो ना सकी,
नसीब देखिये कैसे अजीब होते हैं.
भड़कती आग के शोले अजीब होते है.
ढलक ही जाते हैं पलकों से क़तर-ए-आंसू,
ग़म-ए -जुदाई के लम्हे अजीब होते हैं.
तड़प रहा है कोई, और सुलग रहा है कोई,
यह चाहतों के भी किस्से अजीब होते हैं.
जुबाँ खामोश निगाहों से बात होती है,
नज़र नज़र के इशारे अजीब होते हैं.
हुआ है शहर में गुम, ढूंढते हैं जंगल में,
जूनून-ए-इश्क के मारे अजीब होते हैं.
किसी की होके भी "रजनी" किसी की हो ना सकी,
नसीब देखिये कैसे अजीब होते हैं.
15 comments:
वाह! बेहतरीन.... ग़ज़ल के माध्यम से एक दम सही बात कही है आपने...
ये अजब-गजब ही जीवन है।
मेरा हार्दिक आभार .........आप दोनों को ......
सुंदर शब्दों द्वारा अच्छी अभिव्यक्ति है.
bahut sunder bhav..............
जीवन की कशमकश लिए पंक्तियाँ....
बहुत सुन्दर प्रविष्टि...बधाई
Ramesh ji hardik aabhar yaha aane k liye...
rosi ji aapka bhi sukriya .....
Dr.monika achha laga aapka aana.....
Gafil ji hardik naman hausla badhane k liye. aap sabhi ka sneh bana rahe.....
वाह ...बहुत बढि़या।
lajawaab aur mukkmal gazal.sabhi sher kabile daad hain..maqta khas taur par pasad ayaa mujhe.
lajawaab aur mukkmal gazal.sabhi sher kabile daad hain..maqta khas taur par pasad ayaa mujhe.
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
मेरा शौक
मेरे पोस्ट में आपका इंतजार है,
आज रिश्ता सब का पैसे से
वाह वाह! आज तो मामला फ़िट है। कुछ शेर बढिया बन पड़े हैं।
aap sabhi ko mera hardik sukriya.....ye sneh yun hi milta rahe.....
rajni ke naseeb ka kya kahna...... bahut pyari si baat:)
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