हर शख्स पे तेरा चेहरा नज़र आने लगा है.
चाहत में मिलेगी ऐसी सज़ा , मालूम न था
रह -रह कर याद-ए-माज़ी सताने लगा है.
भर जाते हैं ख़्वाब आँखों में, नींद आये बिना,
तू तो जगती आँखों में सपना दिखाने लगा है.
यह अदा-ए -बेन्याज़ी जान ले लेगी मेरी
तेरी ख़ामोशी मुझे पागल बनाने लगा है.
कभी वक़्त को हम आज़माते थे,
आज वक़्त हमें आज़माने लगा है.
अब कटते नहीं हैं ये लम्हे ये घड़ियाँ,
मौसम भी अपना रंग दिखाने लगा है.
अब तो हर शय पर तू छाने लगा है,
हर शख्स पे तेरा चेहरा नज़र आने लगा है.