शुक्रवार, मई 27, 2011

कहाँ जायेंगे बेघर, बिखर रहा आशियाना

कहाँ जायेंगे बेघर, बिखर रहा आशियाना .


झारखण्ड जब बिहार से अलग हुआ झारखण्ड के लोगों के मन में एक विश्वास की
लहर उठी , अपना राज्य अलग होने से संभावनाएं बढीं लोगों ने उत्साहित हो
कर  नए सरकार  का तथा नयी नीतियों का समर्थन किया .१० सालों में झारखण्ड
सचमे झाड़  का खंड बनकर रह गया .आम जनता इससे मिलनेवाली सुविधाओं से
वंचित रही , फिर भी प्यासे नैन सूखे बंजर भूमि की तरह विकास योजनाओं रूपी
बारिश का इंतजार करती  रही ,कभी तो आएगा बदलाव और हमारी सरकार कुछ तो
अच्छा करेगी जनता के लिए,पर ये सपना पूरा होना तो एक ख्वाब की बात, सरकार
की ये उजाड़ो की नीति ने  लोगों के आँखों से नींद छीन ली है, कहाँ
जायेंगे लोग बेघर होकर ? जब सर से आशियाना छीन जायेगा , जो लोग अपने
पुरखों के समय से रहते आ रहे जिनका जन्म  ,कर्म सब कुछ   इसी भूमि पर हुआ
, उन्हें अचानक उजड़ कर हट जाने का निर्देश ? ये कैसी सरकार है जिसे आवाम
के सुख दुःख का कोई ख्याल नहीं, उजड़ने से पहले कमसे कम कोई तो व्यवस्था
होती कोई भी राहत कैंप  या कोई भी ऐसी व्यवस्था जिसमे लोग सर छूपा सकें .
पर सरकार को इससे कोई सरोकार नहीं, ये मनुष्य का घर   कोई चिड़िया का
घोसला तो नहीं इस पेड़ से उजड़े उस पेड़ में बस गए. फिर क्या अंतर रह
जायेगा इन्सान और जानवर में जब संवेदनाएं ही शून्य हो रही यहाँ |
निर्देशित भूमि पर चेतावनी देना फिर उन्हें कही अलग बसा कर  उजाड़ना ये
न्यायसंगत  होता ,न की कोर्ट का आदेश कह कर अपनी मनमानी तरीके का
इस्तेमाल ये सही तरीका नहीं रहा . . सरकारी जमीं पर बने आवास या उस पर
कब्ज़ा उतने समय से सरकार कहाँ गयी थी, अचानक से सौंदर्यीकरण की सूझी है ,
ये कैसा विकास जिसमे जान व् माल की क्षति की कीमत पर प्राप्त  हो ,एक दो
घर हों तो कोई बात भी , हर तरफ हर कोई रो रहा है कहाँ जायेंगे जो बिखर
गया आशियाना ?? सरकार को इतने बड़े कदम उठाने से पहले सोंचना चाहिए था,
समय देते लोगो को .ये तो तबाही का मंजर गुलामी के काल को भी मात दे रही
शर्मनाक हरकत है ये .जनता से सरकार बनती है न की सरकार से जनता . .

सारी गाज गरीबों पर  ही क्यों ?

जिनके  काले धन  विदेशों में पड़े हैं, जिन्होंने अवैध तरीके से कितने ही
जायदाद खड़े कर लिए  उनपर कोई कारवाही पहले क्यों नहीं क्यों मूक आदेश दे
रही सरकार उजड़ने से पहले बसने की व्यवस्था कर दे सरकार फिर अपनी नीति
चलाये ,क्या  होगा उन जगहों का उन सडकों का जब इस राज्य की धरती पर
गरीबों का खून बह जायेगा .वैसी नीतियों की निंदा ही होनी चाहए जो जनहित
में नहीं, राजा का पहला धर्म अपनी प्रजा की रक्षा करना न की अपने कोष  को
भरने के लिए जनता पर जोर की नीति लागु करना ,सरकार एक बार विचार कर इस
नीति को लागू करती तो ये   निंदनीय नीति नहीं बनती , लाखो लोग बेघर और
बेरोजगार होने से बच जायेंगे ............


"रजनी नैय्यर मल्होत्रा

बोकारो थर्मल .

14 comments:

Kailash Sharma ने कहा…

आज गरीब की किसको चिंता है..केवल चुनाव के समय को छोड़ कर उनको कौन पूछता है..बहुत सटीक और सार्थक रचना ..

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

aabhar kailash ji ...

मनोज कुमार ने कहा…

आलेख में दर्शाई आपकी चिंता जायज़ है। देखें कब इनकी आंखें खुलती हैं, और वे कब हमारी सुध लेते हैं।

मदन शर्मा ने कहा…

रजनी मल्होत्रा नैय्यर जी नमस्ते ! आज अचानक ही यहाँ पहुंचना हुआ। बहुत सही लिखा है आपने !!
मेरी ओर से आपको हार्दिक शुभ कामनाएं!!!

मदन शर्मा ने कहा…

रजनी मल्होत्रा नैय्यर जी नमस्ते ! आज अचानक ही यहाँ पहुंचना हुआ। बहुत सही लिखा है आपने !!
मेरी ओर से आपको हार्दिक शुभ कामनाएं!!!

मदन शर्मा ने कहा…

रजनी मल्होत्रा नैय्यर जी नमस्ते ! आज अचानक ही यहाँ पहुंचना हुआ। बहुत सही लिखा है आपने !!
मेरी ओर से आपको हार्दिक शुभ कामनाएं!!!

मदन शर्मा ने कहा…

रजनी मल्होत्रा नैय्यर जी नमस्ते ! आज अचानक ही यहाँ पहुंचना हुआ। बहुत सही लिखा है आपने !!
मेरी ओर से आपको हार्दिक शुभ कामनाएं!!!

विशाल ने कहा…

बहुत सही आवाज़ उठाई है आपने.
हमारे देश में बहुत कुछ ऐसा है जिसे बदलने के लिए अन्ना हजारे बनना ही पडेगा.
बहुत सार्थक प्रयास.

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

manoj ji is sneh ke liye hardik aabhar ...........


madan ji aapko bhi is sneh ke liye mera aabhar ........v yaha tak aane ke liye ........

vishal ji ko bhi hardik aabhar ......aap sabhi ki tipniyan manobal ko bdhati hain.........sneh milta rahe ...

Kunwar Kusumesh ने कहा…

ग़रीबों की कौन सुनता है,रजनी जी.पोस्ट के ज़रिये अच्छे सवाल उठाये है.

Satish Saxena ने कहा…

सामयिक समस्या उठाई है हार्दिक शुभकामनायें आपको !

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

kushumesh ji .........

shatish ji mera hardik aabhar kabull karen........

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

Apki likhi sari baten vicharniy hain.... par koi soche to...?

Madan Mohan Saxena ने कहा…

उम्दा पंक्तियाँ