शुक्रवार, नवंबर 27, 2009

पर दर्द जिगर को पार कर गयी

पत्थर से,
सर,
टकरा कर हम,
पूछते हैं,
ख़ुद से,
बता ,
कहीं चोट तो ,
नहीं लगी ,
लहू का ,
एक कतरा भी ,
नजर नहीं आता,
पर दर्द,
जिगर को ,
पार कर गयी.
"रजनी "