कुछ शेर ..व मतला
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दुःखों के साये सदा साथ तो नहीं होते
वो आ तो जाते हैं लेकिन चले भी जाते हैं
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मतला
मिटाने मन की हर उलझन चले आओ
सनम अब थामने दामन चले आओ
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इस तरह तेरी कसौटी अब नहीं मंजूर है
ज़िंदगी कह दे मुझे अब आज़माना हो गया
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पीछे नहीं हटती कभी इम्दाद से
मैने हुनर ये परवरिश में पाया है
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आँखों से ग़म ढल जाता है
एक पल ऐसा भी आता है
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काट ली शबे-फ़ुर्क़त आपकी ही यादों में
आपकी ही यादों संग वस्ल के लिए रोये
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"डॉ. रजनी मल्होत्रा नैय्यर "
बोकारो थर्मल झारखंड
2 comments:
बहुत सुन्दर
धन्यवाद मिश्र जी 🙏
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