सोमवार, नवंबर 22, 2021

दुःखों के साये सदा साथ तो नहीं होते

 कुछ शेर ..व मतला 

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दुःखों के  साये  सदा  साथ  तो  नहीं  होते

वो आ तो जाते हैं लेकिन चले भी जाते  हैं

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  मतला

मिटाने मन की हर  उलझन चले आओ

 सनम  अब  थामने दामन  चले  आओ

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इस तरह  तेरी  कसौटी अब  नहीं  मंजूर  है  

 ज़िंदगी कह दे मुझे अब आज़माना हो  गया

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पीछे नहीं  हटती कभी  इम्दाद से

मैने  हुनर ये परवरिश में  पाया  है

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आँखों से ग़म ढल जाता है 

एक पल ऐसा भी आता है 

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काट ली शबे-फ़ुर्क़त आपकी ही यादों  में

आपकी ही यादों संग वस्ल  के लिए  रोये

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"डॉ. रजनी मल्होत्रा नैय्यर "

             बोकारो थर्मल झारखंड