रविवार, सितंबर 26, 2021

आज बेटी दिवस पर संसार की सभी बेटियों को मैं अपना ये गीत समर्पित करती हूँ


ज़मज़म के पानी सी पावन,गंगाजल सी निर्मल  है

ख़ुशियों का सागर है बेटी , बेटी  है तो  ही कल  है 


बिन इसके जीवन   सूना, जैसे  ग़मों का  क्रंदन  है

ये है दिल की धड़कन सी ,जैसे साँसों का स्पंदन है

रिश्तों की मीनारें  इनसे ये झरनों की कल-कल  है

ख़ुशियों का सागर  है बेटी, बेटी  है तो ही  कल  है


ईश का दिया वरदान है बेटी,अधरों की मुस्कान है

महादान का पुण्य दिला दे,ये वो अमोघ सामान है

तपती धरा में शीतल छाया मरुभूमि में ये  जल  है

ख़ुशियों का  सागर है  बेटी, बेटी है तो  ही कल है


इसकी साँसों की माला पर इसका ही अधिकार है

ये मानव की जननी , इससे  मानव का  विस्तार है

करुणा,स्नेह,त्याग से भरकर मन बेटी का निश्छल है

ख़ुशियों का सागर  है  बेटी, बेटी  है तो  ही कल  है


जिसे भूलना आसान नहीं, उसी बात का संज्ञान नहीं

पूजी जाती थी नारी यहाँ, पर अब वो हिंदुस्तान नहीं

कंटक, खार भरा बेटी  के जीवन का अब हर  पल है

ख़ुशियों का सागर  है बेटी , बेटी  है तो  ही  कल  है


डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर

बोकारो थर्मल (झारखंड)