देख लहरों को डर गए कुछ लोग
नाव से ही उतर गए कुछ लोग
करके क़ुर्बान ज़िंदगी अपनी
प्यार में उफ्फ बिखर गए कुछ लोग
हर सितम सह रहे यहाँ जीकर
ज़िंदा रहकर भी मर गए कुछ लोग
सोच कर राह की परेशानी
राह में ही ठहर गए कुछ लोग
जो खड़े सर पे हैं कफ़न बाँधे
साथ उनके उधर गए कुछ लोग
दाग लगने न दी अना पर जो
आग पर से भी गुजर गए कुछ लोग
"लारा "
नाव से ही उतर गए कुछ लोग
करके क़ुर्बान ज़िंदगी अपनी
प्यार में उफ्फ बिखर गए कुछ लोग
हर सितम सह रहे यहाँ जीकर
ज़िंदा रहकर भी मर गए कुछ लोग
सोच कर राह की परेशानी
राह में ही ठहर गए कुछ लोग
जो खड़े सर पे हैं कफ़न बाँधे
साथ उनके उधर गए कुछ लोग
दाग लगने न दी अना पर जो
आग पर से भी गुजर गए कुछ लोग
"लारा "
6 comments:
bahut sundar .....
लाजवाब
बढ़िया ग़ज़ल
आपसभी को आभार 🙏
वाह !लाजवाब
बहुत खूब ...
सादे और खूबसूरत शेर ... अच्छी गज़ल है ...
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