गुरुवार, अप्रैल 23, 2020

विश्व पुस्तक दिवस पर

विश्व पुस्तक दिवस की बधाई

अक्षर -अक्षर अमर  हो  गए पाकर रूप किताबों के
भाव उतर आए पन्नों में बढ़ गए क़ीमत जज़्बातों के
दोहे गीत ग़ज़ल कोई किस्सा कविता या फिर चौपाई
विषय बने दुनियादारी कुछ राजनीतिक हालातों  के

"लारा"

3 comments:

Jyoti Singh ने कहा…

स्याही कलम कागज अल्फाज मिलकर बना डाले किताब और इन किताबों ने समेटे सांझा किये ,दुनिया भर के किस्से कहानी ,अनुभवों के भंडार ,तभी हमने जाना समझा मन के भाव,विचार और साथ ही जाना बीते कल का इतिहास ,जिसमें भूत, भविष्य ,वर्तमान के साथ युगों,युगों की गाथा जीवन की परिभाषा ,समय परिवर्तन ,उतार-चढ़ाव के साथ रहा सही-गलत का हिसाब ।तभी तो किताबें हमारी है ज्ञान का आधार ।
चन्द शब्दों में सुंदर वर्णन किया है ,बहुत अच्छा लगा ,नमस्कार

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

सुन्दर मुक्तक

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

आभार आदरणीय 🙏