दुनियां की हर माँ को नमन ...........
थपकी, चुम्बन, मीठी लोरी , ऐसे प्यार जताती है माँ,
लाल - पीली होकर गुस्से से, फटकार लगाती है माँ .
सीने से लिपट जाती है,छोड़- चूल्हा -चौका, झाड़ू बर्तन ,
बच्चों के दुःख में खुशियों का उपहार बन जाती है माँ
देकर अपने ममता का संबल, जीते जीवन का हर दंगल
कभी ढाल बनकर डटे ,कभी तलवार बन जाती है माँ .
काँटों के गुलशन में भी फूलों का हार बन जाती है
बच्चों की खुशियों में त्यौहार बन जाती है माँ
दे कर ममता स्नेह की बहती धार बन जाती है
प्यासे धरा पर सावन की बौछार बन जाती है माँ,
जीवन के हर एक उलझन , ले कर अपने अंकों में ,
कर दे मात नियति को भी ,ऐसी औजार बन जाती है माँ |
"रजनी नैय्यर मल्होत्रा"
थपकी, चुम्बन, मीठी लोरी , ऐसे प्यार जताती है माँ,
लाल - पीली होकर गुस्से से, फटकार लगाती है माँ .
सीने से लिपट जाती है,छोड़- चूल्हा -चौका, झाड़ू बर्तन ,
बच्चों के दुःख में खुशियों का उपहार बन जाती है माँ
देकर अपने ममता का संबल, जीते जीवन का हर दंगल
कभी ढाल बनकर डटे ,कभी तलवार बन जाती है माँ .
काँटों के गुलशन में भी फूलों का हार बन जाती है
बच्चों की खुशियों में त्यौहार बन जाती है माँ
दे कर ममता स्नेह की बहती धार बन जाती है
प्यासे धरा पर सावन की बौछार बन जाती है माँ,
जीवन के हर एक उलझन , ले कर अपने अंकों में ,
कर दे मात नियति को भी ,ऐसी औजार बन जाती है माँ |
"रजनी नैय्यर मल्होत्रा"
10 comments:
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज रविवार (12-05-2013) के चर्चा मंच 1242 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ
बहुत सही कहा !
मातृ दिवस पर सुन्दर प्रस्तुति
आपको भी मातृ दिवस हार्दिक शुभकामनाएँ....
ब्लॉग बुलेटिन के माँ दिवस विशेषांक माँ संवेदना है - वन्दे-मातरम् - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
एक माँ ही है जो इतना कुछ कर जाती है ...
शुभकामनायें माँ के पावस दिवस की ...
बहुत सुन्दर रचना ...मातृत्व दिवस की बधाई
मातृ दिवस पर सुन्दर प्रस्तुति
मां तुम्हारा उदाहरण जब भी दिया
देव मुस्कराये पवन शांत भाव से बहने लगी
नदिया की कलकल का स्वर मधुर लगने लगा
हर शय छोटी प्रतीत होती है उस वक्त
जब भी बाँहें फैलाकर जरा-सा तुम मुस्करा देती हो
सोचती हूँ जब भी कई बार
तुम्हारा प्यार और तुम्हारे बारे में
भावूपर्ण प्रस्तुति ...
Aap sabhi ko hardik aabhar...
शब्द कि इस मर्म को .... मैं यूँ समझ कर आ गया …
अल्फाज पढ़ के यूँ लगा .... खुद से ही मिल के आ गया ....
बहुत खूब ....
बहुत सालों से ऐसा नहीं पढ़ा। ।
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