देर से आने के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ आप सभी के ब्लॉग पर नहीं जा सकी ,काफी दिन तक ब्लॉग परिवार से दूर रही परीक्षाएं चल रही थीं .अब धीरे धीरे सबके ब्लॉग पर जाना हो पायेगा ...
कर्तव्यों की डोर से बंधी सांसें,
हर पल धड़कती हैं ,
धड़कनों पर बंदिश नहीं
इंसान का,
समय चक्र के सुइयों के साथ,
वो बंधी है,
क़दम भागते,दौड़ते,
हाथ भी मशीनों से,
हर पल देते हैं धड़कन का साथ,
क्योंकि,
कर्तव्यों के बोझ तले,
दोनों ही गिरवी हैं ,
चाहे वो जिस्म हो या धड़कन.
"रजनी नैय्यर मल्होत्रा."
कर्तव्यों की डोर से बंधी सांसें,
हर पल धड़कती हैं ,
धड़कनों पर बंदिश नहीं
इंसान का,
समय चक्र के सुइयों के साथ,
वो बंधी है,
क़दम भागते,दौड़ते,
हाथ भी मशीनों से,
हर पल देते हैं धड़कन का साथ,
क्योंकि,
कर्तव्यों के बोझ तले,
दोनों ही गिरवी हैं ,
चाहे वो जिस्म हो या धड़कन.
"रजनी नैय्यर मल्होत्रा."
16 comments:
वाह ..बहुत बड़ी बात कह गयी आपकी यह छोटी से बात ... बहुत खूब..
कर्त्तव्यों का बोझ ही ऐसा होता है...
मन के एहसासोँ की अच्छी अभिव्यक्ति हुई हैँ। ....आभार रजनी मल्होत्रा नैय्यर जी
मन के एहसासोँ की अच्छी अभिव्यक्ति हुई हैँ। ....आभार रजनी मल्होत्रा नैय्यर जी
मन के एहसासोँ की अच्छी अभिव्यक्ति हुई हैँ। ....आभार रजनी मल्होत्रा नैय्यर जी
aap sabhi ko mera hardik aabhar dr. nutan ji......
veena ji ....
madan ji .....
aap sabhi k sneh manobal ko badhate hain......
मन के एहसासोँ की अच्छी अभिव्यक्ति|
कर्तव्य तो निभाना ही पड़ता है.बढ़िया कविता है.
bahur bahut sukriya ..........aap sabhi ka sneh yun hi milta rahe.......
कर्त्तव्यों के प्रति अच्छी अभिव्यक्ति ....अच्छी कविता...
हार्दिक शुभकामनायें।
कर्तव्यों के प्रति वफ़ादारी नजर आ रही खुबसूरत अहसास.....
सुन्दर भाव भरी रचना.
इन सांसों का जिन्दगी से रिश्ता है
वही निभा रहा हूं इसे जी कर के
sabhi ne sub kuch kah diya mere liye words nahi hai..... .
achhi abhivyakti...aur achhi rachna..
sunder abhivyakti
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