सोमवार, जुलाई 26, 2010

ये नशा , शराब का नहीं, उनकी आँखों का है.

 लोग कहते हैं मुझे,
बिन पिए ही झूमते हो,
क्या बताऊ ,
उनकी आँखों में ,
नशा ही,
 सौ बोतल का है
ये नशा ,
शराब का नहीं,
उनकी आँखों का है.

8 comments:

बेनामी ने कहा…

kya khub kahi aapne , wakai mein in akhon ka apna ek alag hi surror hota hai..............

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

बहुत सुंदर जी
आँखे तो मयखाना हैं।

आभार

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

hardik sukriya .........shailendra ji
lalit ji ....

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

nashe ka kya, wo bottle se ho, ya aankho se .....bas log jhumte rahte hain.......:)

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

hardik sukriya aapsabhi ko

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति ।

amrendra "amar" ने कहा…

ver nice rajni ji badhai

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

sanjay ji ...........
amrendra ji aapdono ko hardik sukriya.