काँटों से आँचल छुड़ाना,
सीख लिया मैंने,
कदम डगमगाते थे,
लड़खड़ाते कदम ,
आसानी से,
आगे बढ़ाना,
सीख लिया मैंने,
तन्हा चलने लगे हैं,
कदम संभलने लगे हैं,
पथरीली राहों पर भी,
अब तो ,
हँस कर चलने लगे हैं,
वक़्त के साथ खुद को,
आजमाना ,
सीख लिया मैंने,
बात बात पर,
सागर छलकाने वाले,
कैसे,बन जाते हैं,
पत्थर,सीख लिया मैंने,
कड़वे बोल भी ,बन जाते हैं ग़ज़ल,
गजल बनाना सीख लिया मैंने,
अग्न में खुद को मोम सा ,
जलाना सीख लिया मैंने,
तन्हा चलने लगे हैं,
कदम संभलने लगे हैं,
पथरीली राहों पर भी,
अब तो ,
हँस कर चलने लगे हैं,
सागर के तेज़ धारे से,
कस्ती बचाना,
सीख लिया मैंने,
मौन रह कर भी सबकुछ ,
कह जाना सीख लिया मैंने,
गम के सागर में भी रहकर,
मुस्कुराना सीख लिया मैंने,
तन्हा चलने लगे हैं,
कदम संभलने लगे हैं,
पथरीली राहों पर भी ,
अब तो,
हँसकर चलने लगे हैं.
"रजनी "
बुधवार, दिसंबर 09, 2009
काँटों से आँचल छुड़ाना सीख लिया मैंने,
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें