मेरे मन में काफी सालों से एक द्वंद चल रहा था,समाज में नारी के स्थान को लेकर,
मन कुछ कड़वाहट से भरा रहा,आज काफी सोंचते हुए एक रचना लिख रही उनकी कुछ (नारी)
की बेबसी पर जो .........ममता,त्याग,वात्सल्य ,विवशता संस्कार,कर्तव्य, एक चुटकी सिंदूर ........ और जीवनपर्यंत रिश्तों की जंजीर में बंधकर, अपनी हर धड़कन चाहे इच्छा से,चाहे इच्छा के बिरुद्ध बंधक रख देती है..जन्म से लेकर मृत्युपर्यन्त वह बस रिस्तों को निभाने में ही रह जाती है,विवाह के बाद विवाह के पूर्व खुलकर अपनी साँसें भी नहीं ले पाती,पर विवाह के बाद नए रिस्तों में बंध कर वो तो अपना अस्तित्व ही खो देती है, वो खुद को गिरवी रख देती है,अपने ही अर्धांगिनी होने का मतलब भी खो देती है.......... आशा है मेरे विचारों
से आपलोग सहमत हों.......
मेरी एक कोशिश है (उन नारियों के लिए जो खुद को बेबस बना कर रखी हैं ) उनके लिए ... बंधन में बंधो,पर खुद को जक्ड़ो नहीं..........
अर्धांगिनी का मतलब समझ जा,
तेरी खुद की सांसों पर भी,
तुम्हारा अधिकार है,
एक चुटकी सिंदूर के बदले,
उसे साँसे गिरवी दे देती है,
लहू से अपने,सींचे आँगन जिसका,
खुशियाँ अपनी सूद में उसे देती है,
त्याग और ममता की मूरत बनकर,
कब तक और पिसोगी तुम,
आँखों में आँसू रहेगा कबतक ?
कबतक होंठों पर झूठी ख़ुशी होगी ?
कब तक रहोगी सहनशील ?
कब तक तेरी बेबसी होगी ?
त्याग ,दया,ममता, में बहकर,
अबतलक पिसती आई,
जिस सम्मान की हक़दार हो,
अपनी खता से ही ना ले पाई,
शर्म, हया तेरा गहना है,
बस आँखों में ही रहे तो काफी है,
खुद को बेबस जानकार,
ना दबा दे आरजू सारी,
पहचान ले खुद को,
तेरा ही रूप रही दुर्गा काली,
मांगने से नहीं मिलता,
छिनना पड़ता अधिकार है,
अर्धांगिनी का मतलब समझ जा,
तेरी खुद की सांसों पर भी,
तुम्हारा अधिकार है,
शुक्रवार, दिसंबर 11, 2009
एक चुटकी सिंदूर के बदले, उसे साँसे गिरवी दे देती है,
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18 comments:
its carrying a beautiful msg in it ...bahut hi achha likha aapne !!!1
sukriya aapka...........
very true, and great motivation
bahut hi badiya likha hai rajni ji ... mujhe pata hi nahi tha ki aapka blog bhi hai ...abhi achank se hi saamne aaya .... bahut khushi hui dekhkar ...ab aapki racnayein ek hi jagah padne ko milengi thanks
sukriya dp sir...........
ji manjeet ji batana bhul gayi thi aapko..........
han ab meri saari rachnaayen ek jagah aasani se mil jayenge...........
sukriya manjeet jimeri rachna ko sarahne ke liye
bas hausla milta rahe aapsab se........
hamaray pass aap ki tarah shabd nahi hai kahnay kay liya bhir bhi kah raha hu mai aap ki sari sari kavita padhta hu per koi comment nahi kar pata kyo ki aap ki aap to lajawab hai hi sath hi aap ki kavita kahi jyada lajawab hai
really heart touching poem .... well wishes ...
tarak ji sukriya ................
vigen ji aapka bhi bahut 2 sukriya..........
bahut hi marmik rachna hai man ko choo gayi ......thanx
amrendra ji sukriya ..............
rachna me to bas maine hakikat ko ubhara hai.........
sach mein bahut accha likha hai
thanks sunil ji .........
kya baat hai mam ji,
aap to great ho
hakikat kuch aise ubher ke samne aayi hai ki man ko pichli yaadon me kho jane ko dil kerta hai...........thanx
bas kuchh unhi sachhai ko meri kalam ne ubhara hai,jo aaj bhi samaz me kahin na kahin ghatit ho raha........aur ye rachna meri aankhon dekhi ghatna par maine likhi hai...........
sukriya lalit ji ..........
amrendra ji..............
इस अबंधन को और खुलासा कीजिये .
शायद ही इसे सार्वभौमिक सम्मति मिले ...?
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