दशरथ के घर पुत्र रूप में जन्म लिए थे रघुवर जी
एक घड़ी फिर ऐसी आई हुए राम जी वनवासी
अवधपुरी में सभी ओर बस राम राज की थी चर्चा
किया मंथरा की बातों ने मन भारी कैकेई का
कोपभवन में हारे राजा और हुईं विजयी रानी
एक घड़ी फिर ऐसी आई हुए राम जी वनवासी
पुत्र धर्म का पालन करने चले राम जी वन में रहने
और संग में पत्नी सीता साथ अनुज लक्ष्मण भी चले
मात-पिता गुरु और महल सँग छोड़ी अपनी नगरी
एक घड़ी फिर ऐसी आई हुए राम जी वनवासी
हाथ जोड़कर जन-जन करते श्रीराम जी का वंदन
मत जाओ वन मत जाओ वन मत जाओ हे रघुनन्दन
चौदह वर्ष नयन तरसेंगे प्रभु दरस के अभिलाषी
एक घड़ी फिर ऐसी आई हुए राम जी वनवासी
क्या अंतर नारायण नर में नियति बड़ी दुखदायी है
भटक रहे वन-वन भाई द्वय दशा दुखी रघुवर की है
सभी राजसी भोग छोड़कर रीति संत की अपनायी
एक घड़ी फिर ऐसी आई हुए राम जी वनवासी
लंकापति ने रची योजना हरण सिया का करने की
और लक्ष्मण की रेखा से बाहर निकलीं सीता जी
लंकापति ले उनको भागा विकल हुए जग के स्वामी
एक घड़ी फिर ऐसी आई हुए राम जी वनवासी
राम लखन जब सिया खोज में किष्किंधा तक आ पहुँचे
महाबली बजरंगबली अपने प्रभु से तब वहाँ मिले
मूर्छित हुए लखन जब युद्ध में तो घबराए अवतारी
एक घड़ी फिर ऐसी आई हुए राम जी वनवासी
रावण का वध किये रामजी हुआ युद्ध भीषण भारी
राम लौटकर वापस आए हर्षित हुए अवध वासी
जगमग-जगमग दीपों से तब हुई अवध की गली गली
एक घड़ी फिर ऐसी आई हुए राम जी वनवासी
"रजनी मल्होत्रा नैय्यर
बोकारो थर्मल झारखंड
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