मसला पूरी ग़ज़ल का था
मिसरे पर ही अटक गए
मिसरे पर ही अटक गए
नाजुक रिश्ते कांच से
द्वेष अग्न में चटक गए
द्वेष अग्न में चटक गए
कैसे मंजिल तक जायेगे
अपनी राह से भटक गए
अपनी राह से भटक गए
क़दम फूँक कर रखते हैं
जो आँखों में खटक गए
जो आँखों में खटक गए
लालच के मारे कुछ लोग
कुक्कुरों सा झपट गए
कुक्कुरों सा झपट गए
"
रजनी"
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