गद्दारों से मिलकर वफ़ा कर रहा है
कुछ भी नहीं वो नया कर रहा है
कुछ भी नहीं वो नया कर रहा है
मासूमियत या सयानेपन से
नादानी अपनी बयाँ कर रहा है
नादानी अपनी बयाँ कर रहा है
भटका हुआ सहाब हो गया है
नीलाम अपनी अना कर रहा है
डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर ( लारा ) झारखण्ड बोकारो थर्मल से । शिक्षा -इतिहास (प्रतिष्ठा)बी.ए. , संगणक विज्ञान बी.सी .ए. , हिंदी से बी.एड , हिंदी ,इतिहास में स्नातकोत्तर | हिंदी में पी.एच. डी. | | राष्ट्रीय मंचों पर काव्य पाठ | प्रथम काव्यकृति ----"स्वप्न मरते नहीं ग़ज़ल संग्रह " चाँदनी रात “ संकलन "काव्य संग्रह " ह्रदय तारों का स्पन्दन , पगडंडियाँ " व् मृगतृष्णा " में ग़ज़लें | हिंदी- उर्दू पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित । कई राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित ।
Posted by डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) at 16.9.15
3 comments:
आपकी इस प्रस्तुति की चर्चा 17-09-2015 को चर्चा मंच के अंक चर्चा - 2101
में की जाएगी
धन्यवाद
बहुत खूब लिखा है आपने!
bahut -bahut aabhar Virk bhayi , sanjay bhai
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