सिंदूरी सपने नैनों में लिए खड़ी बावरी मुस्काए,
क़तरा-क़तरा सागर सा, लिए स्नेह का गागर ठहरा हो.
जीवन एक संग्राम बना, ये जलता मंज़र थम जाये,
न तोड़ सके कोई भेद ,ऐसा भाईचारा गहरा हो.
न द्वेष रचे, ना ज़ुल्म बसे, हर मन गंगा हो जाये,
सुरभित हो ऐसे संसार, सुमन सा जीवन खिल जाये.
न कांटे चुभें विष वाणों के,न तकरार जगह पाए,
गर आना हो बन कर दस्तक, तो खुशहाली ही आये,
जो चैन अमन हम खो बैठे ,वो वापस अपने घर आये,
कुछ रचा जाये ऐसा इतिहास .जिसे विश्व फिर दुहराए.
"रजनी नैय्यर मल्होत्रा "
क़तरा-क़तरा सागर सा, लिए स्नेह का गागर ठहरा हो.
जीवन एक संग्राम बना, ये जलता मंज़र थम जाये,
न तोड़ सके कोई भेद ,ऐसा भाईचारा गहरा हो.
न द्वेष रचे, ना ज़ुल्म बसे, हर मन गंगा हो जाये,
सुरभित हो ऐसे संसार, सुमन सा जीवन खिल जाये.
न कांटे चुभें विष वाणों के,न तकरार जगह पाए,
गर आना हो बन कर दस्तक, तो खुशहाली ही आये,
जो चैन अमन हम खो बैठे ,वो वापस अपने घर आये,
कुछ रचा जाये ऐसा इतिहास .जिसे विश्व फिर दुहराए.
"रजनी नैय्यर मल्होत्रा "
10 comments:
ना द्वेष रचे ना जुल्म बसे, हर मन गंगा हो जाये,
सुरभित हो ऐसे संसार,सुमन सा जीवन खिल जाये.
रजनीजी बहुत सुन्दर और पवित्र भावनाएं हैं आपकी. काश! आपकी भावनाएं फलीभूत हों और
सर्वत्र 'खुशहाली ही आये'
बेहतरीन प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार.
kash sab kuch suman sa khil jaye'''''''
sunder ati sunder
आदरणीय रजनी जी
नमस्कार !
जो चैन अमन हम खो बैठे ,वो वापस अपने घर आये,
कुछ रचा जाये ऐसा इतिहास .जिसे विश्व फिर दुहराए.
बहुत सुन्दर
बेहतरीन प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार.
ना द्वेष रचे ना जुल्म बसे, हर मन गंगा हो जाये,
सुरभित हो ऐसे संसार,सुमन सा जीवन खिल जाये.
रजनी मल्होत्रा जी नमस्कार!
बहुत सुन्दर और पवित्र भावनाएं हैं आपकी.
बहुत सुंदर .... सच्ची और अच्छी अभिव्यक्ति.... बेहतरीन
अच्छी कामनाएं,प्रेरक रचना..
सुंदर भावनाओं से ओत-प्रोत एक अच्छी रचना।
बहुत ही खूब लिखा है आपने
गर आना हो बन कर दस्तक, तो खुशहाली ही आये.
आमीन.
khoobsurat bhav hain rachna ke,
sansar ko jodne ki koshish
badhai
bahut achchi bhwna.....
aap sabhi ko is sneh ke liye mera hardik aabhar ..............
rakesh ji.........
roshi ji.........
sanjay ji .......
madan ji.......
kushumesh ji....ramesh ji ,....
manoj ji.......
khare ji........
vishal ji.......
mridula ji.....
ssneh aabhar ...
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