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वक़्त की आंधी ने हमें रेत बना दिया,
हम भी कभी चट्टान हुआ करते थे |
आज हिम सा शून्य नज़र आ रहे हैं हम,
हम भी कभी रवि से तेज़ हुआ करते थे|
एक झंझावत से गिरे पंखुडियां , शूल रह गए
हम भी कभी गुलाबों से भरे गुलशन हुआ करते थे|
विवशता ने हमें सिन्धु सा बना दिया है शांत,
हम भी कभी मदमस्त उफनती सरिता हुआ करते थे|.
वो अपने ही थके क़दमों के निशां हैं,
जो कभी हिरणों सी चौकड़ियाँ भरा करते थे.|
वक़्त की आंधी ने हमें रेत बना दिया,
हम भी कभी चट्टान हुआ करते थे|
वक़्त की आंधी ने हमें रेत बना दिया,
हम भी कभी चट्टान हुआ करते थे |
मौसम के रुख ने हमें मोम बना दिया,
हम भी कभी धधकती आग हुआ करते थे|आज हिम सा शून्य नज़र आ रहे हैं हम,
हम भी कभी रवि से तेज़ हुआ करते थे|
एक झंझावत से गिरे पंखुडियां , शूल रह गए
हम भी कभी गुलाबों से भरे गुलशन हुआ करते थे|
विवशता ने हमें सिन्धु सा बना दिया है शांत,
हम भी कभी मदमस्त उफनती सरिता हुआ करते थे|.
वो अपने ही थके क़दमों के निशां हैं,
जो कभी हिरणों सी चौकड़ियाँ भरा करते थे.|
वक़्त की आंधी ने हमें रेत बना दिया,
हम भी कभी चट्टान हुआ करते थे|