मन की भाषा को ,
जुबान मिलती है ,
पन्नों में आकर ,
कुछ भाषा ,
आँखों से खोली जाती हैं.
कुछ को,
खोलने के लिए,
पन्नों को ,
भिंगोना होता है .
शब्दों से ,
भींगा हुआ पन्ना,
बन जाता है,
साहित्य का,
इतिहास ..
"रजनी नैय्यर मल्होत्रा "
सोमवार, जुलाई 05, 2010
शब्दों से भींगा हुआ पन्ना बन जाता है, साहित्य का इतिहास .
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
1 comments:
hardik sukriya sanjay ji .........
एक टिप्पणी भेजें