मंगलवार, फ़रवरी 23, 2010

तू बता कौन है ?


तू बता कौन है ?
ए मनमोहिनी,चंद्रमुखी, चंद्रचकोरी ,
तू बता कौन है ?
चंचल से हैं चितवन तेरे,
फिर भी क्यों लगती मौन है ?
यह  काले लट तेरे गेसू नहीं,
छाई  घटा घनघोर हैं,
चूपके-चूपके, निहारे तुझे,
मन मेरा जैसे कोई चोर हो,
नैन तेरे ऐसे जैसे प्याले हों शराब  के,
डूबकर जो देखे इसमें,  रह जाये वोह दिल  थाम के,
ए मनमोहिनी,चंद्रमुखी, चंद्रचकोरी ,
तू बता कौन है ?
चंचल से हैं चितवन तेरे,
फिर भी क्यों लगती मौन है ?
अधर तेरे प्यारे हैं , जैसे कली गुलाब की,
और क्या- क्या मिसाल दूँ तेरे  सबाब की,
तू जूही की कली,चंचल तितली,
बातें  तेरी जैसे  मिसरी की डली,
हर अदा तेरी लगती है मुझे,
मौसम की अंगड़ाई  ,
ये  कजरारे नैन तेरे,
जाम मुहब्बत  के छलकाएं,
अब तो मेरी प्रबल इच्छा ,
डूबकर इसमें मर जाएँ,
तुम कस्तूरी सी सुगंधा हो,
तुम यामिनी,दामिनी,वृंदा हो,
कनक सा तपता रूप तेरा,
काया लगे  खिला- खिला   धूप तेरा,
ऐ मनमोहिनी चंद्रमुखी ,चंद्रचकोरी,
तू बता कौन है?
चंचल से हैं चितवन तेरे,
फिर भी क्यों लगती मौन है ?
तुझे देखने  को मन मेरा, चकोर सा
तुझे पा लूँ तो,
मन नाचे मोर सा,
पर मन के अंदर तो छाये हैं
अनगिनत प्रश्न घटा घनघोर सा,
तू बस मेरी एक कोरी कल्पना है,
यथार्थ तो नज़र आता ही नहीं,
बस मेरे लिए तो तू सपना है,
ख्याल मन से तेरा जाता ही नहीं,
रोज़ ही मेरे ख्यालों में तुम आती हो,
कभी कंगन अपने हाथों के ,
तो कभी पाज़ेब  बजाती हो,
जब ढूंढे मन मृग मेरा तुझे,
झट ओझल हो जाती हो,
पर हैरान कर इस तरह मुझे,
न  जाने तुम क्या पाती हो,
ए मनमोहिनी,चंद्रमुखी, चंद्रचकोरी ,
तू बता कौन है ?

"रजनी"