सोमवार, जनवरी 04, 2010

पछतावा

मेरी ये रचना समाज के कुछ उस भाग के लिए है जो आज आधी समाज को ढक चूका है...
हो सकता है ये रचना आप सबको पसंद न आये,पर ये मैंने जो देखा है वो ही आज फिर अपने कलम को लिखने को कहा.........आप सब की प्रतिक्रिया की आशा रखती हूँ.....

मेरी ये रचना उस नज़र के लिए है जो सचमुच नारी के रूप में एक माँ या बहन को नहीं देख पाते...(आपसब तक ये रचना रखने का अभिप्राय बस इस धारणा को बदलने की एक छोटी सी कोशिश है ......मेरी कोशिश को अपना साथ दें..........
ये वाक्या कहीं आपके साथ भी तो नहीं घटित हो रही , कहीं आप भी इस श्रेणी में सुमार तो नहीं,यदि हैं तो खुद को बदल लीजिये, कहीं ये पछतावा आपको भी न हो जाए...


हर नज़र अब तो सेक्स तलाशती है एक औरत में, चाहे वो ब्याही हो या कुंवारी ...
आज ये कहते हुए मुझे काफी अफ़सोस हो रहा कि जिस तेज़ी से जमाना बदल रहा उसी तेज़ी से लोगों के सोंच भी बदल गए,और बदले भी ऐसे कि उनके सोंच में हर शिष्टता ,भावना ना जाने कहा दफ़न हो गए..


कई दिनों से वो बाइक से करता था पीछा

girls college  की आती,जाती लड़कियों का

उनके सर से पाँव तक के रचना को देख कर

फब्तियों के तीर से उन्हें बिंधा करता था

36, 28, 34...... अरे वाह काली नागिन है यार,
एक बार पलट कर देख ले तो बिना इसके डसे ही
मर जाऊं,

वो बार,बार college  के गेट तक पहुँच रही लड़कियों के

एक ग्रुप को देख चिल्लाता रहा,ए पलट,एक बार पलट

जिसे उसने काली नागिन कहा था

वो काले रंग की लिबास में लड़की, पलट कर देखा ही नहीं

उस लड़के के सामने जाकर खड़ी हो गयी,लड़की को सामने देखते ही ,

वो शर्म से अपनी निगाहें झुका लिया,क्योंकि वो लड़की कोई और नहीं

उस लड़के ही छोटी बहन निकली,शर्म से बहन से निगाहें भी नहीं मिला पाया....

आज इस भूख ने भाई बहन के रिश्ते को भी लहुलुहान कर दिया है.............

मेरे इस रचना के लिए आपके प्रतिक्रिया की जरुरत है...........

शुक्रिया ........


BY RAJNI NAYYAR MALHOTRA....... 9:25PM....

6 comments:

dr vikastomar ने कहा…

rajni g ekdum sahi likha aapne....hamaara yout ekdum samvedna suunya ho chuka hai....hum bhool chuke hai ki naari har kadam par ek purush ko sahara deti hai....janm se mratu tak...mein chahuga is vishya par aap ek poem likhen....
aapke vicharon ka humkadam

dr vikas tomar

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

ji sukriya sir............. is vishay par mai aaj hi likh rahi thi par aadha hi post kar payi,aadhi ko firse post karungi..........

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

maine puri rachna post kar di hai aage aapsab ki prtikriya ka intzar hai........kaise badlav ho is aaj ke samaz me.........

amrendra "amar" ने कहा…

Rajni Mam Appne ekdam sahi likha hai aajki young generation kuch aisi ho rahi hai ........
aur ye sab aaj ke media ki den hai ..............aur shayed ise media hi sambhal sakta hai .............
ha kuch aise bhi hai jo in sabse koso door hai .........

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

ji amrendra ji bahut hi sahi aapne bhi bataya....bas is tarah ki ghatnaaye khatam ho jaye to kaafi sukun milega samaz ko aise halat se.....

siddharth ने कहा…

Pehle bhi kaha tha aaj bhi keh raha hu jabardast hai..