बुधवार, दिसंबर 23, 2009

कब तक मेरी बेबसी को , वो आजमाएंगे,

कब तक हमें,
इंतजार के,
अग्न में,
 जलाएंगे,
कब तक ,
मेरी बेबसी को ,
वो आजमाएंगे,
एक दिन तो,
आएगा ऐसा,
वो हमारी ,
चाहत का ,
लोहा ,
मान जायेंगे.

"रजनी"

4 comments:

جسوندر سنگھ JASWINDER SINGH ने कहा…

Bahut Khoobsurat Khyaal

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

thanks sir..........

Siddharth Vallabh ने कहा…

कब तक हमें,
इंतजार के अग्न में,
वो जलाएंगे,
कब तक मेरी बेबसी को ,
वो आजमाएंगे,
एक दिन तो आएगा ऐसा,
वो हमारी ,
चाहत का लोहा मान जायेंगे |

Kab tak intezaar ke agan mein vo hamein jalayenge
kab tak meri bebasi ko yun hi iskadar aajmayenge,
ek din to aisa aayega jab vo chahat ka dard samajh jayenge...........

aisa hota to kaisa hota?
Regards,
Siddharth

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

nahi sir meri rachana me chahat me dard nahi,tabhi likha hai chahat ka loha maan jayenge,rachana ye bata rahi,ki chahat me meri inati shakti hai ki wo mere chatat ke aage natmastak ho jayenge,haar jayenge,apne proud ko, loha maan jayenge........isiliye likha ....