ख़ुदा कैसा लिखा मुकद्दर , क्या रंजिश निकाली ?
जिसे भी अपना समझा , बदले में पाया गाली |
किस बात का अचम्भा किस बात का है झगड़ा,
स्वीस बैंक भर उनके, है दामन अपना खाली |
क्योंकर वो सुनेंगे शोर तेरे , हों जिसके हाथ सेंसर ?
कहीं पे बदनाम मुन्नी , कहीं हुई शीला कहानी |
अब आग पर चलने जैसा, हो गया है चौराहा,
मौवालियों को दिखें हर आती-जाती कलियाँ साली |
कई सराफ़त के पुतलों के घरों में , आ गया बवंडर ,
एक बेवा ने अपनी मर्ज़ी से घर क्या बसा ली |
वो मासूम कली रोकर ,पकड़ कर पांव उसके बोली,
बाबा ब्याह ना कराना ,अभी तो मेरी उमरिया बाली |
"रजनी मल्होत्रा नैय्यर "
जिसे भी अपना समझा , बदले में पाया गाली |
किस बात का अचम्भा किस बात का है झगड़ा,
स्वीस बैंक भर उनके, है दामन अपना खाली |
क्योंकर वो सुनेंगे शोर तेरे , हों जिसके हाथ सेंसर ?
कहीं पे बदनाम मुन्नी , कहीं हुई शीला कहानी |
अब आग पर चलने जैसा, हो गया है चौराहा,
मौवालियों को दिखें हर आती-जाती कलियाँ साली |
कई सराफ़त के पुतलों के घरों में , आ गया बवंडर ,
एक बेवा ने अपनी मर्ज़ी से घर क्या बसा ली |
वो मासूम कली रोकर ,पकड़ कर पांव उसके बोली,
बाबा ब्याह ना कराना ,अभी तो मेरी उमरिया बाली |
"रजनी मल्होत्रा नैय्यर "