शर्त है ये चट्टान भी गिर जाएगी ,मगर,
एक बार हौसलों
की तूफान
को तो लाईये,
ढूंढने पर गीदड़ों
का काफ़िला मिल जायेगा,
एक बार ढूंढने को शहर तो जाईये.
हर बार की तरह ही दम तोड़ती हुई है,
इस बार इस विधि पर रौशनी
तो लाईये
ओहदे के दंभ में जो आसमां
में उड़ रहे,
हकीकत की ज़मीं
पर
उन्हें खींच कर तो लाईये
.
बदले मिजाज़ मौसम के, बदले हालात से
फिर पड़ेंगे ओले जरा सर तो मुड़ायिये .
सोचते हो थम जायेगा
गरजने से ये बवंडर ,
"रजनी" बरसने
को
घटा बनकर तो छाईए,