"मेरी चलती रूकती सांसों पर ऐतबार तो कर,
ये हँसता हुआ झील का कवल, मेरे बातों पर ऐतबार तो कर,
तू यूँ ही खिल जायेगा जैसे दमकता माह ,
बस एक बार मुस्कुरा के दीदार तो कर . "
ये हँसता हुआ झील का कवल, मेरे बातों पर ऐतबार तो कर,
तू यूँ ही खिल जायेगा जैसे दमकता माह ,
बस एक बार मुस्कुरा के दीदार तो कर . "