इतिफाक से ही ,
पर,
सामना तो,
हो ही जाता है,
मुश्किलों से,
सबका.
हम उसे,
स्वीकार करें,
या ना करें,
पर,
नियति अपने,
तय समय पर,
हर कार्य को करती है .
बुधवार, जून 23, 2010
इतिफाक से ही , सामना तो, हो ही जाता है, मुश्किलों से,
Posted by डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) at 23.6.10 2 comments
Labels: Poems
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