"ज़िन्दगी ,
तुझे,
मेरी खुशियाँ रास नहीं,
और,
मुझे समझौता ,
बता,
फिर कैसे हँसकर,
मिलन हो तुझसे "
Rajni Nayyar Malhotra.
सोमवार, मई 10, 2010
फिर कैसे हँसकर, मिलन हो तुझसे
Posted by डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) at 10.5.10 13 comments
Labels: shayari
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