चाहत की क़ीमत न लगा ये अनमोल है ,
शुक्रवार, अप्रैल 30, 2010
बंद आँखों में भी मेरा दीदार हो जायेगा.
चाहत की क़ीमत न लगा ये अनमोल है ,
Posted by डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) at 30.4.10 16 comments
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बुधवार, अप्रैल 28, 2010
क्या खबर थी मुझको वो इतना दूर हो जायेगा.
सजदा किया जिस देवता की वो पत्थर हो जायेगा,
क्या खबर थी मुझको वो बेवफा हो जायेगा.
प्रेम का दरिया बनकर हम तो उफन पड़े ,
क्या खबर थी मुझको वो सागर हो जायेगा.
छू कर हीरा कर डाला इस बूत से जिस्म को,
क्या खबर थी मुझको वो ऐसे तन्हा कर जायेगा.
मेरे हर दर्द को पीनेवाला समझ अमृत हर घूंट को,
क्या खबर थी अश्कों का जहर वो तन्हा पी जायेगा.
रूठना तो इश्क की दुनिया का दस्तूर है,
क्या खबर थी मुझको वो इतना दूर हो जायेगा.
हर शय पर जिसने मुझको पाया इस गुलिस्तान में,
क्या खबर थी मुझको वो इतना मगरूर हो जायेगा,
सजदा किया जिस देवता की वो पत्थर हो जायेगा,
क्या खबर थी मुझको वो बेवफा हो जायेगा.
"रजनी"
Posted by डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) at 28.4.10 13 comments
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मंगलवार, अप्रैल 06, 2010
और फूल मुरझा गए
कलियों के मन तब खुद पर इठलाते थे
Posted by डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) at 6.4.10 19 comments
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