जीवन की आपाधापी के ,
उठते हुए बादल से,
अहसास की धरा पर,
उम्मीद की फ़सल खिलती रहे |
घुमड़ते हुए ख्याल ,
कुछ उलझे से सवाल,
कभी बूंद बनकर बरसे ,
कभी ज्योति सी जलती रहे |
जुगनुओं सी भटकाव में,
कुछ धूप में कुछ छाँव में ,
असंख्य अनुभूतियाँ
जीवन में मिलती रहे |
अश्रुपूरित नयन लिए ,
कभी उल्लसित तरंग लिए
एक सम्पूर्ण गगन लिए,
विह्वल ,आकुल चातक से
चांदनी रात मिलती रहे |
"रजनी नैय्यर मल्होत्रा "
8 comments:
बेहतरीन अभिव्यक्ति,सुंदर रचना,,,,रजनी जी बधाई
recent post: वजूद,
आपकी इस उत्कृष्ट पोस्ट की चर्चा बुधवार (19-12-12) के चर्चा मंच पर भी है | अवश्य पधारें |
सूचनार्थ |
जीवन के हर रंग से सराबोर सुन्दर रचना ,बधाई।
aabhar.........Dhirendra ji.
prdeep ji.....
Sangeeta ji.........
सुन्दर रचना!
बेहतरीन
सादर
बहुत ही खुबसूरत और प्यारी रचना....
bahut sunder rachana.
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