मंगलवार, अप्रैल 21, 2020

कोरोना गीत


क़ुदरत की है बड़ी चुनौती मानस औ विज्ञान को
ग्रहण लगेगा घर से बाहर निकले  हर इंसान को 


विश्व के कई देश विवश हैं और हुए लाचार बड़े
मौत का तांडव देखते हैं हाथ बाँधे मूक हुए खड़े
गुप्त शत्रु का वार है ये मत भूलिए इस संज्ञान को 
ग्रहण लगेगा घर से बाहर निकले हर इंसान  को

आज से अधिक कठिन होगा आनेवाला जो कल है 
 क्रोधित है क़ुदरत जिससे मिल रहा ये प्रतिफल  है
 छल बल से  वो लगा हुआ है मानव के सन्धान को 
ग्रहण लगेगा घर से   बाहर  निकले हर   इंसान  को 



है कोई क़ुदरत की आपदा या जैविक हथियार  है
ये तो विश्व के समूल नाश को लालायित  तैयार है 
व्यर्थ नही  होने देंगे  इस युद्ध में हुए बलिदान  को 
ग्रहण लगेगा घर से  बाहर  निकले हर   इंसान  को


अपने धैर्य की है ये  परीक्षा इसे नहीं  खोने  देंगे
भारत को हम इटली   यू एस चीन नहीं होने देंगे 
कई वर्षों  कर देगा पीछे ये जीवन  के उत्थान को 
 ग्रहण लगेगा घर  से  बाहर निकले हर इंसान  को 


 बुरा वक्त भी टल जाएगा सबका वक़्त बदलता  है 
 पतझड़ के आने से ही तो पुष्प  बाग में  खिलता है 
 भेदरहित हो नाश करें इस मानव के व्यवधान को 
 ग्रहण लगेगा घर से बाहर निकले हर    इंसान   को

" लारा मल्होत्रा नैय्यर
बोकारो थर्मल झारखंड