मंगलवार, अगस्त 07, 2012

मंगलसूत्र और नारी




काले मोतियों में पिरोये ,
अनगिनत विश्वास
और शंकाओं को पाले,
डाले रहती है गले में
जान से भी बढ़कर
सहेजती है
इस काले मोती के धागे को |
खोने का
कभी  बिखरने का डर
सताता रहता है |
कुंदन में जड़ी हो
या कोरे धागे में,
कोई फर्क नहीं पड़ता ,
आस्थावान  होती है नारी,
विश्वास,अविश्वास से परे
 हर तीज-त्योहर पर,
मंगलसूत्र के लंबी उम्र की
करती है कामना |
बीते दिन  एक नारी की
 ले ली जान  मंगलसूत्र ने,
ये   खबर सुनकर भी,
आसपास
बरबस दुहरा गयी नारियाँ,
लंबी हो उम्र मेरे मंगलसूत्र  की |
पीट  गयी एक नारी  ,
शराबी के हाथों ,
होश में आते ही
बात जुबां पर आई,
लंबी हो उम्र मेरे मंगलसूत्र  की |
एक धागे की बढ़ा देती है बिसात,
कर देती है अमर
मनके के हर दाने को
अपने विश्वास से |
नारियां कहाँ छोड़ पाई हैं
आज भी अपने पुरातनपंथी  को ?
वो गंगू बाई हो या,
कंपनी की मीटिंग में बैठी
पुरुष से होड़ करती नारी ,
बातों -बातों में ,
छू जाते हैं उसके हाथ
गले के मंगलसूत्र को |
जन्म से ही बंध जाती है
मंगलसूत्र से नारी
और चाहती है जीवनपर्यंत
इससे बंधे रहना |

"रजनी नैय्यर मल्होत्रा "